भारतीय स्टेट बैंक से जुड़ी खबरें: SBI Bank धारकों के लिए बैंक की तरफ से बड़ी अपडेट आई है जिसमे बैंक धारकों को बड़ा झटका लगने वाला है । दरअसल बैंक के द्वारा MCLR दरों को बढ़ा दिया है. बैंक ने MCLR दरों को 0.05 फीसदी तक बढ़ा दिया है. जिसे से एसबीआई बैंक से जुड़े लोन महंगे हो जायेंगे।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने मॉर्जिन कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट्स यानी एमसीएलआर जारी कर दिए हैं। जिसके अनुसार, 3 महीने की अवधि वाले मौजूदा एमसीएलआर को 8.50 फीसदी से बढ़ाकर 8.55 फीसदी कर दिया गया है।
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देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक SBI ने अपने करोड़ों कस्टमर्स को झटका दे दिया है. बैंक ने आज (15 नवंबर) से MCLR दरों को बढ़ा दिया है. MCLR दरों के बढ़ने का सीधा असर आपके पर्सनल लोन, कार लोन और होम लोन की EMI पर पड़ता है. बैंक ने ब्याज दरों को 0.05 फीसदी तक बढ़ा दिया है. हाल ही बैंक ने ये दूसरी बार MCLR दरों में इजाफा किया है.
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क्या है SBI MCLR Rates?
एक ऐसा दर है जो बैंकों द्वारा उधारी की दरें निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह दर बैंकों के लिए उनके वित्तीय संसाधनों की लागत पर आधारित होती है और इसमें विभिन्न कारकों का समावेश होता है, जैसे कि:
- बैंक का मार्जिनल कॉस्ट: यह लागत वह होती है जो बैंक को नए धन की प्राप्ति में होती है।
- शुल्क और खर्चे: इसमें बैंक के संचालन और प्रशासनिक खर्च भी शामिल होते हैं।
- ऋण की अवधि: अलग-अलग अवधि के लिए MCLR अलग-अलग हो सकते हैं।
- निवेश के रिस्क फैक्टर: इसमें बाजार के उतार-चढ़ाव और अन्य आर्थिक परिस्थितियों का प्रभाव भी शामिल होता है।
SBI जैसे बैंकों के लिए MCLR दरें नियमित रूप से अपडेट होती हैं।
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कितने महीना की रेट्स को बढ़ाया गया
भारतीय स्टेट बैंक की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, बैंक ने 3 महीने, 6 महीने और 1 साल के MCLR दरों को रिवाइज्ड किया है. इसमें 3 महीने की दरों को 8.50 फीसदी से बढ़ाकर 8.55, 6 महीने को 8.85 फीसदी से बढ़ाकर 8.90 फीसदी और 1 साल की दरों को 8.95 फीसदी से बढ़ाकर 9.00 फीसदी कर दिया है. ।
बैंक लोन और कार लोन पर क्या फरक पड़ेगा?
जब SBI (स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) की MCLR (मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट) बढ़ती है, तो इसका व्यक्तिगत ऋण (पर्सनल लोन) और कार ऋण (कार लोन) पर कई प्रभाव पड़ सकते हैं:
- ब्याज दरों में वृद्धि:
- MCLR में वृद्धि का सीधा प्रभाव उधारी की लागत पर पड़ता है। इसका मतलब है कि बैंक नए लोन पर उच्च ब्याज दर लागू करेंगे। इसलिए, यदि आप नए पर्सनल लोन या कार लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं, तो आपको पहले की तुलना में अधिक ब्याज दर चुकानी पड़ सकती है।
- EMI में वृद्धि:
- जब ब्याज दरें बढ़ती हैं, तो मासिक किस्त (EMI) भी बढ़ जाती है। इससे आपकी वित्तीय योजना पर असर पड़ सकता है, क्योंकि आपको अधिक राशि चुकानी होगी।
- अवधि के लिए लोन पर प्रभाव:
- जिन ग्राहकों ने पहले से ही फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, उनके लिए भी EMI बढ़ सकते हैं, क्योंकि उनकी दरें MCLR के अनुसार समायोजित होती हैं। इससे उनकी कुल चुकता राशि पर प्रभाव पड़ेगा।
- लोन लेने की प्रक्रिया में बदलाव:
- उच्च ब्याज दरों के कारण, ग्राहक नए लोन लेने से कतराते हैं, जिससे लोन की मांग में कमी आ सकती है। इससे ग्राहकों को लोन लेने का निर्णय लेने में सावधानी बरतनी पड़ सकती है।
- निवेश पर प्रभाव:
- यदि लोग उच्च ब्याज दरों के कारण ऋण लेने से बचते हैं, तो यह उपभोक्ता खर्च और निवेश को प्रभावित कर सकता है। इससे आर्थिक विकास पर भी असर पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
MCLR की वृद्धि का व्यक्तिगत और कार लोन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। ग्राहकों को इससे होने वाले प्रभावों को ध्यान में रखते हुए अपने वित्तीय निर्णयों को लेना चाहिए।